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लेखनी कहानी -22-May-2023 लेखक का सपना

लेखक की आंखों में तैरते हैं सपने हजार 
कलम से करता है वह वीराने को गुलजार 
वीर रस का झरना हो या हास्य के फव्वारे 
व्यंग्य की तेज कटार से भय खाते हैं सारे 
रहस्य रोमांच की दुनिया में वह ले जाता है 
श्रंगार की फुहारों से सबको भिगो जाता है 
सपने ही उसकी दुनिया है सपने ही दौलत 
सपनों को कागज पे उतारने में है महारथ 
प्रेमचंद की तरह उसकी कहानियां अमर हों 
दिनकर सी कविताओं का अजस्र निर्झर हो 
गालिब सी गजल हो जो सीधे दिल में उतरे 
रसखान से सवैयों से भक्ति के रंग बिखरे 
कबीर रहीम के दोहों सी खालिस सच्चाई हो 
मीरा के निर्मल प्रेम सी दिलों में अच्छाई हो 
कालिदास सा अनुपम शिल्प जो उसे मिल जाए 
तो वह भी अपना नाम जहां में अमर कर जाए 

श्री हरि 
22.5.23 


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1 Comments

Punam verma

22-May-2023 09:12 AM

Very nice

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